ढूँढाड़ी बाताँ

एक गरीब पाळती

एक बार की बात छै। एक गरीब पाळती छो। ऊँकै एक छोरो छो। पाळती ऊँ छोरा को ब्याव करबा को बच्यार लगायो। पाळती घणो गरीब छो, जिसूं ऊँका छोरा को ब्याव कोन हैर्यो छो। एक दन पाळती गांव का नै भेळा कर लियो अर खियो कै, मन थोड़ा दना कै ताणी भागवान बणावो,

आंदा नै नूतै अर दो जीमावै

एक बार एक गांव मै एक कंजूस आदमी छो। ऊँकन धन खूब छो पण वो एक टको भी न उजाड़ै छो। वो कांई चीज मोल ले छो, तो ऊँ चीज को मोल सो ठोर पै करावै छो। पाछै ऊँ चीज नै ले छो। एक बार वो दस पण्डत जमाबा की बच्यार लियो। वो एक पण्डत नै बलार खियो कै, पण्डतजी, दस पण्डत जमाबा मै कतरो चून ला

एक आदमी को नांव पांवणो

एक पांवणा नांव को आदमी छो। वो एक पाळती कै घरां चलग्यो। पाळती ऊँनै पूच्यो कै थारो कांई नांव छै। वो बोल्यो, म्हारो नांव पांवणो छै। पाळती की लुगाई को नांव तारां छो अर ऊँकी छोरी को नांव रामा छो। पाळती थोड़ी बार पाछै खेत मै हळ बाहबा चलग्यो। पाळती रामा को बाळपणा मैईं ब्याव कर

अब आगी म्हारै समज मै

एक बार एक कजोड़, गोकल नांव का दरजी कन कुड़तो सुंवांबै चलग्यो। गोकल ऊँ कपड़ा नै देखर खियो कै, यो कपड़ो तो ओछो छै। ईंको कुड़तो कोन बणै। वो आदमी, बदरी नांव का दरजी कन चलग्यो। बदरी ऊँ कपड़ा नै देखर खियो कै, थारो कुड़तो बणज्यालो।

तीन गधा को भार

एक दन अकबर, बीरबल अर ऊँका दो दरबार्यां नै लेर तळाव पै न्हाबा चलग्यो। अकबर अर दोनी दरबारी लत्‍ता तो बीरबल नै दे दिया अर तळाव मै न्हाबा लागग्या। अकबर, बीरबल नै खियो, तू भी न्हालै, बीरबल खियो, म्ह तो कोन न्हाऊँ। बीरबल तीनां का लत्‍ता नै खान्दा पै धर लियो अर तळाव की पाळ पै

सबसूं चोखी झूंट

एक बार तीन बायेला बिदेस चलग्या। तीनू मलर कुमाबा लागग्या। नरां दना पाछै वै वां पीसा नै बांट्या तो 25 रफ्या बचग्या। अब 25 रफ्या नै तीन भागां मै कियां बांटै। वै तीनू सरत रांख्यां कै जे सबसूं चोखी झूंट बोलैलो वोई यां 25 रफ्या नै लेलो।

पहलवान को डर

एक पहलवान बस मै बैठर नतकई काम पै जावै छो। कण्डेकटर नतकई ऊँनै खै छो भाईसाब टगट?

राजा नै मजाक करबो भारी पड़्यो

एक दन राजो अर ऊँको दरबारी बीरबल दरबार मै बैठ्या-बैठ्या बोर खार्या छा। राजो मन मै बच्यार लगायो कै, आज ईं दरबारी की मजाक करणी छै। राजो छानै-सीक बोरां की गुठल्यां नै दरबारी ओड़ी सरका दियो अर खियो, तू तो घणा सारा बोर खाग्यो। ईं बात नै राजा का दूसरा दरबारी सुण लिया अर ऊँकी (

बना नीम को मकान

एक नगर मै दो सेठ रै छा। एक को नांव घासीराम अर दूसरा को नांव रामफूल छो। वां दोन्यां नै धन-धोलत को घणो घमण्ड छो। एक दन घासीराम, रामफूल सेठ सूं मलबा चलग्यो। घासीराम, रामफूल का मकान नै देखर अछम्बा मै पड़ग्यो। अतरो बडो मकान अर वो भी तीन मजली। गांव का सगळा रामफूल का मकान नै द