एक पहलवान बस मै बैठर नतकई काम पै जावै छो। कण्डेकटर नतकई ऊँनै खै छो भाईसाब टगट? पहलवान नतकई खै दे छो, म्ह टगट कोन ल्यूं। कण्डेकटर डर को मार्यो ऊँनै कांई भी कोन खै छो। कण्डेकटर अपणै-आप नै कमजोर समज ले छो। जिसूं वो यां सोचर नतकई कसरत करबा लागग्यो। थोड़ा दना मैईं वो मोटो-तगड़ो हैग्यो। एक दन फेर पहलवान ऊँकी बस मै बैठग्यो। ऊँनै कण्डेकटर खियो, भाईसाब टगट! पहलवान खियो, म्ह टगट कोन ल्यूं। कण्डेकटर रोसां हैर खियो, भाईसाब टगट क्यूं कोनै ले? पहलवान खियो, म्हारकन तो पास बणेड़ो छै। कण्डेकटर मन ई मन मै घणो रोसां हियो पण पहलवान नै कांई भी कोन खियो।

सीख :- कद्‌यां भी डरपर नै जीणो चाईजे।