एक बार की बात छै, अकबर का दरबार मै नरा सारा दरबारी छा। ज्याँमै सूँ अकबर, बीरबल नै घणो चावै छो। अकबर का दरबारी बीरबल नै देखर बळै छा। एक दन सगळा दरबारी बोल-बतळार बीरबल नै नखाळबा को बच्यार कर लिया। बीरबल घणो चातरक छो, ऊँकै आगै सब दरबार्यां नै हार मानणी पड़ै छी। एक दन अकबर की राणी नै दरबारी खिया, तू बीरबल नै अण्डै सूँ नखळवा दै। राणी दरबार्यां की बात नै मानली। एक दन राणी नतकई की जियाँ अकबर को आदर न करी अर झूँट्याईं आँख्याँ मै आँसूँ भरली। अकबर राणी नै रूसबा को कारण पूच्यो, तो वा बीरबल नै दरबार मै सूँ नखाळबा बेई खी। अकबर राणी नै खियो, म्ह बीरबल नै बना गुनो कर्यां ईं कियाँ नखाळू?
एक दन अकबर अर राणी कै राड़ हैगी अर राणी रूसर बनी मै चलगी। राजो बच्यार लगायो कै राणी नै मनाबो कळ्डो काम हैग्यो अर आज बीरबल नै गुना मै लेबा को आपाँ नै मोखो मलग्यो। आज बीरबल नै कियाँ भी गुना मै लेणो छै। अकबर बीरबल नै खियो कै, राणी रूसगी जिनै तू मनार ल्या। बीरबल राणी नै मनाबै चलग्यो। बीरबल राणी नै खियो, अकबर तो दूसरी राणी लेबै जार्यो छै। राणी बीरबल की बात नै सुणर बेगी-सी महल मै आगी अर अकबर सूँ मीठी-मीठी बाताँ करबा लाग्‍गी। अकबर, बीरबल का चातरक पणा नै देखर घणो राजी हियो।
सीख :- अकल बडी है छै।