एक दन राजो अर ऊँको दरबारी बीरबल दरबार मै बैठ्या-बैठ्या बोर खार्या छा। राजो मन मै बच्यार लगायो कै, आज ईं दरबारी की मजाक करणी छै। राजो छानै-सीक बोरां की गुठल्यां नै दरबारी ओड़ी सरका दियो अर खियो, तू तो घणा सारा बोर खाग्यो। ईं बात नै राजा का दूसरा दरबारी सुण लिया अर ऊँकी (बीरबल की) मजाक करबा लागग्या। वो दरबारी घणो चालाक छो। वो राजा नै खियो, राजाजी थे तो बोर खाया जे तो खाया, पण बोरां की गुठल्यां नै भी खाग्या। ईं बात नै सुणर राजो सीळो हैग्यो अर नीची नाड़ कर लियो। राजा नै दरबारी की मजाक करबो घणो भारी पड़्यो, जिसूं राजो घणो पसतायो।
    

सीख :- कद्‌यां भी कोई को बरो नै सोचणो चाईजे।