एक दन अकबर, बीरबल अर ऊँका दो दरबार्यां नै लेर तळाव पै न्हाबा चलग्यो। अकबर अर दोनी दरबारी लत्‍ता तो बीरबल नै दे दिया अर तळाव मै न्हाबा लागग्या। अकबर, बीरबल नै खियो, तू भी न्हालै, बीरबल खियो, म्ह तो कोन न्हाऊँ। बीरबल तीनां का लत्‍ता नै खान्दा पै धर लियो अर तळाव की पाळ पै बैठग्यो। अकबर अर ऊँका दरबारी तळाव मै तर-तरर्र न्हार्या छा, जद बीरबल वांका ख्याल देखर्यो छो। अकबर, बीरबल की मजाक करबा की सोच्यो, “बीरबल मन अस्यां लागर्यो छै कै, थारा खान्दा पै एक गधा को भार आग्यो। ‘पाछै बीरबल खियो, “एक नहीं तीन-तीन गधा को भार लद मैल्यूं छूँ”। अकबर जाणग्यो कै यो तो आपां नैईं तीन गधा बणार्यो छै। अकबर तो ऊँकी मजाक कर्यो पण बीरबल भी ऊँनै मूँ तोड़ जुवाब दे दियो।
सीख:- जस्या सूं जसी ई करणी चाईजे