ढूँढाड़ी बाताँ

स्याळ बणग्यो राजो

एक बार की बात छै। एक जंगळ मै एक स्याळ रै छो। वो खुद तो सकार करै कोन छो अर दूसरा का करेड़ा सकार नै खार टेम-पास करै छो। एक बार ऊँनै खाबा बेई कांई भी कोन लाद्‌यो। वो भूखां मरतो एक गांव मै चलग्यो। जद्‌यां होळी को टेम छो। एक आदमी भगुनी मै लाल रंग गोळ मेल्यो छो। स्याळ भूखां म

बुडापो खोटो छै

एक बार एक गांव मै एक डोकरो छो। वो बेमार हैग्यो अर खाटला मै पड़ग्यो। वो खाट मै पड़्यो-पड़्यो घाडो दुखी हैग्यो। डोकरा का घरका ऊँकी सेवा करता-करता घाडा खुराब हैग्या एक दन ऊँ डोकरा का घरका बच्यार लगाया, “कै ईं डोकरा की खाट नै घर की महड़ी माळै डारद्‌यां छां।” ऊँ डोकरा का घरक

चातरक बाण्यों

एक बार एक राजो अर बीरबल दरबार मै बैठ्या छा। राजो बीरबल नै खियो कै, “ईं दनियां मै चातरक अर बावळ्यो कुण छै?” बीरबल खियो कै, “चातरक बाण्यां अर बावळ्या मुल्ला हैवै छै।” राजो खियो कै, तू दखार बता किया है छै। बीरबल एक मुल्ला नै अर एक बाण्यां नै दरबार मै बला लियो। बीरबल मुल्ला

राणी को हार

एक बार पैल्यां की बात छै। एक गांव कै बारै एक बड़ छो। ऊँ बड़ पै एक कागलो घुस्याळो बणार रै छो अर बड़ की जड़ा मै एक काळो स्यांप रै छो। वो स्यांप बड़ पै चडर कागला का बच्या नै खाज्या छो। कागलो ऊँ स्यांप सूं घाडो खुराब हैग्यो। एक दन वो कागलो एक राजा का महल मै चलग्यो। उण्डै रा

लोबी पण्डत

एक गांव मै बदरी नांव को आदमी छो। वो एक गण्डकड़ो पाळ मेल्यो छो। वो गण्डकड़ो एक दन बेमार पड़ग्यो अर थोड़ा दना पाछै मरग्यो। गण्डकड़ा नै मर्यां पाछै बदरी भी बेमार पड़ग्यो। एक दन बदरी कै घरां एक पण्डत आग्यो अर बदरी नै खियो कै, तू पाप कर्यो छो, जिसूं बेमार हियो छै। बदरी खियो

501 रफ्या देर बता

एक बार एक मांग-खाणो छो। वो मांगबा को काम करै छो। एक दन वो मांगतो-मांगतो एक रैलगाडी का टेसण पै चलग्यो। अब वो आरकसण आळा डब्बा मै बड़ग्यो। वो उण्डै मांगर्यो छो तो, एक जणो ऊँनै बोल्यो, “कै भाई चोखा हाथ-पग दे मेल्यो छै भगवान अर फेर भी तू भीख मांगर्यो छै। सरम नै आवै कै तन।” म

समुदर खारो कियां छै

नरा दना पैली की बात छै। एक गांव मै दो भाई छा। बडो भाई घणो भागवान अर छोटो घणो गरीब छो। बडा भाई कै कांई भी कमी कोन छी अर छोटा कन खाबा बेई दाणा भी कोन छा। दुवाळी को दन छो। बडा भाई का छोरा-छोरी फटाका छुडार्या छा। सारा गांव मै खुसी छारी छी। न्यारा-न्यारा पकवान बणार्या छा। पण

पेट मै भूचर्या

एक बार एक राजो छो। वो राजो स्याळा का दना मै रजायां भरवाबा की सोच्यो। वो ऊँका एक सन्तरी नै खियो कै, पन्दारा नै बलार ल्या। सन्तरी गियो अर पन्दारा नै बला ल्यायो। राजो खियो कै, “भाई आपणै दस-पन्दरा रजायां भराणी छै। तू थारा ओजार लियाज्यो अर अण्डैई आजाज्यो।” पन्दारो घरां जार अ

डोकरा नै गेला मै पटक्यायो

एक बार एक मदन नांव को आदमी छो। ऊँको बाप बेमार छो। वो घाडो बेमार हैर मरग्यो। मदन को बायेलो रामू छो। वो रामू नै खियो, “कै मन तो बारा दन तक सराव कोनै अर तू म्हारा बाप नै गंगाजी मै पटक्या।” मदन, रामू नै करायो-भाड़ो देर गंगाजी खन्दा दियो। रामू गंगाजी तो गियो कोनै अर मदन का ब