ढूँढाड़ी कबिता

ढूंढाड़ का लोगां की मायड़ भासा छै, ढूँढाड़ी

ढूंढाड़ का लोगां की मायड़ भासा छै, ढूँढाड़ी।
ढूंढाड़ का लोग-लुगायां की पचाण छै, ढूँढाड़ी॥(1)

ढूँढाड़ी मै बोलां, ढूँढाड़ी मै गांवां भजन अर गीत।
यो काम आज को कोनै, यातो बरसां पराणी रीत॥(2)

ये जी म्हारै आवै रै डील मै हेरा

ये जी म्हारै आवै रै/माचे रै डील मै हेरा।
घर का पूत कुवांरा डोलै यज माना का फेरा॥(टेर)

लम्बो चोड़ो डील हो गियो डाडी मुछ्यां आ गयी।
म्हारा जस्या छोरा छापरा नै लुगायां भागई।
म्हारा सूना पलंग पै डेरा॥
घर का पूत कुवांरा डोलै यज......॥(1)