ये जी म्हारै आवै रै/माचे रै डील मै हेरा।
घर का पूत कुवांरा डोलै यज माना का फेरा॥(टेर)

लम्बो चोड़ो डील हो गियो डाडी मुछ्यां आ गयी।
म्हारा जस्या छोरा छापरा नै लुगायां भागई।
म्हारा सूना पलंग पै डेरा॥
घर का पूत कुवांरा डोलै यज......॥(1)

लाद्‌या-माद्‌या सबी परणग्या, परण्या सबी कुवांरा।
यांका घर गणगोर कर रही रोज आंगणे गारा।
सब परण्या एरा घेरा , रै सब परण्या रै॥
घर का पूत कुवांरा डोलै यज......॥(2)

नुकड़ का बंगला पै देखो छोरी छेल कुवांरी
होटां मै मुळकावै गोरी भर-भर कै सिसकारी।
या तो खावै घूमर घेरा॥
घर का पूत कुवांरा डोलै यज......॥(3)

रात होई जद रोटी खाकर म्ह कटिया पै जाऊं।
ऊंचा-नीचा सपना देखूं गोट गुळिंदा खाऊं।
म्हारै कद बंदवासी सेरा।
घर का पूत कुवांरा डोलै यज......॥(4)

अतरी सुण के पिताजी बोल्या सुणलै बात म्हारी।
चोखो भलो डील है भाया मारै मति कटारी।
वा तो खून पीवगी तेरा, थारा उतर जाई सब हेरा
यज माना कै जाबा दै मन करवाबा दै फेरा॥
घर का पूत कुवांरा डोलै यज......॥(5)