एक बार एक राजो जंगळ मै सकार करबा चलग्यो। वो सकार कै ताणी जंगळ मै घणी दूरां तक चलग्यो पण ऊँनै एक भी सकार कोन मल्यो। राजो जंगळ मै सूं उल्टो आयो जद्‌यां गेलो डूलग्यो। वो डूलतो-डूलतो आगै आयो, तो ऊँनै जोर की तसाई लाग्याई। गेला मै दो गुवाळ्या छेळ्यां चरार्या छा। राजो, गुवाळ्या नै पाणी पाबा बेई खियो, तो दोनी गुवाळ्या राजा नै पाणी पा दिया। राजो पाणी पीर राजी हैग्यो अर दोनी गुवाळ्या नै दूसरै दन इनाम देबा बेई दरबार मै बला लियो। दूसरै दन दोनी गुवाळ्या राजा का दरबार मै चलग्या। राजो दोन्यां नै खियो, थांकी मरजी सूं कांई भी मांगल्यो? एक गुवाळ्यो बच्यार लगायो कै आपणी छेळ्यां दूद कम दे छै, जिसूं आपां तो एक भैंस मांगल्या छां। वो राजा नै खियो, राजाजी मन तो एक भैंस देद्‌यो। दूसरो गुवाळ्यो मन मै बच्यार लगायो कै आपां तो अकल लेल्यां, जिसूं सगळा काम करल्यांला। वो बच्यार लगार राजा नै खियो, राजाजी मन तो अकल देद्‌यो। राजो दरबार्यां पै एक भैंस मंगवार एक गुवाळ्या नै दे दियो अर दूसरा गुवाळ्या नै ऊँकै खनै ईं रांख लियो। राजो ऊँनै बडिया पडा-लखार ऊँको दरबारी बणा लियो। थोड़ा दना पाछै दोनी गुवाळ्या एक ठोर हिया जद बतळाया कै अकल बडी या भैंस। जद दूसरा गुवाळ्या कै समज मै आगी कै भैंस को कांई बडो छै, अकल बडी है छै।
सीख :- अकल बडी है छै।