एक गांव मै एक माड़साब छो। ऊँको नांव सुकदेव छो। ऊँकै करमां नांव की एक छोरी छी। माड़साब करमां नै बडिया पडायो-लखायो। पडाई-लखाई पूरी हियां पाछै करमां ब्याववाळी हैगी। अब माड़साब कै करमां का ब्याव की चन्ता लागज्या छै। माड़साब कन पीसां की कोई कमी कोन छी। वो माड़साब छोरी कै तोड़ी एक चोखो राजकुमार देखबो चावै छो। ऊँ माड़साब की इसकूल मै घणा सारा छोरा पडबा आवै छा। माड़साब ऊँकी छोरी को हाथ एक अस्या राजकुमार का हाथ मै देबो चावै छो, ज्यो ऊँ आदमी का जीवन मै कतरी भी बडी समस्या आवै, तो वो ऊँको डटर सामनो कर सकै।
    एक दन माड़साब ऊँका सगळा छोरां नै भेळा कर लियो। वांकी परिकस्यां लेबा कै तोड़ी माड़साब वानै बोल्यो कै थे जावो थांका घरकां का, कोई भी एक गहणा नै चोरी छुपका सूं लेर आवो। दूसरै दन माड़साब फेर छोरां नै बलायो अर पूच्यो तो सारा छोरा अपणा-अपणा घरकां का गहणा नै चोरर लियाया पण एक कजोड़ नांव को छोरो खाली हाथ ई आग्यो। माड़साब ऊँनै बोल्यो कै तू खाली हाथ ई कियां आयो छै? कजोड़ माड़साब नै बोल्यो, माड़साब मन म्हारी आत्मा अर परमात्मा तो चोरी करतो देखरी छी नै, जिसूं म्ह खाली हाथ ई आग्यो। माड़साब नै तो बस वो एक सत्यवादी राजकुमार मलग्यो। अयां खै छै कै बरो काम तो चाई गुरु ई क्यूं नै दे, ऊँनै भी न करणो चाईजे।
    सीख :- हमेसां सत्य पै रहणो चाईजे।