एक बार एक चड़ो अर एक चड़ी छा। एक दन दोनी बतळाया कै आपां खिचड़ी बणावां। चड़ो लियायो चावळ अर चड़ी लियाई मूंग, दोनी खिचड़ी बणा लिया। चड़ी पाणी लेबा चलगी अर चड़ो पाछै सूं सगळी खिचड़ी नै खाग्यो। थोड़ी बार पाछै चड़ी पाणी लेर आई। चड़ी, चड़ा नै बोली, खिचड़ी नै कुण खाग्यो। चड़ो बोल्यो, म्ह तो कोन खायो। ईं बात नै लेर दोन्यां कै राड़ हैगी। दोनी एक कोठी पै चलग्या अर एक कच्‍चा सूत का तागा को हिन्दो घाल लिया। पहली चड़ी हिन्दो खार बारै आगी। चड़ो हिन्दो खाबै लाग्योर हिन्दो टूटग्यो अर चड़ो कोठी मै पड़ग्यो। चड़ी कोठी कै पारा पै बैठी-बैठी रोबा लाग्गी। थोड़ी बार पाछै उण्डै एक बलाई आई अर चड़ी नै पूछी कै मांवसी-मांवसी कांई हैग्यो? चड़ी बोली, बेटा थारो मांवसो कोठी मै पड़ग्यो। बलाई बोली, कोठी मै सूं तो म्ह नखाळर लियाऊँली पण खाऊँली म्ह ही। बलाई चड़ा नै कोठी मै सूं नखाळर लियाई। बलाई बोली, मांवसी-मांवसी खा जाऊँ। चड़ी बोली, बेटा आली-तीती कांई खावै सुकार खावै नै। थोड़ी बार पाछै चड़ो सूखग्यो अर बलाई बोली खा जाऊँ। चड़ी बोली अयां कांई खावै उछाळर खावै नै, ज्यूंई बलाई चड़ा नै उछाळी चड़ो अर चड़ी उडर चलग्या अर बलाई झांकती ई रहगी।
सीख :- कद्‌यां भी बैरी पै बसास न करणो चाईजे।