लोबी पण्डत

एक गांव मै बदरी नांव को आदमी छो। वो एक गण्डकड़ो पाळ मेल्यो छो। वो गण्डकड़ो एक दन बेमार पड़ग्यो अर थोड़ा दना पाछै मरग्यो। गण्डकड़ा नै मर्यां पाछै बदरी भी बेमार पड़ग्यो। एक दन बदरी कै घरां एक पण्डत आग्यो अर बदरी नै खियो कै, तू पाप कर्यो छो, जिसूं बेमार हियो छै। बदरी खियो

राणी को हार

एक बार पैल्यां की बात छै। एक गांव कै बारै एक बड़ छो। ऊँ बड़ पै एक कागलो घुस्याळो बणार रै छो अर बड़ की जड़ा मै एक काळो स्यांप रै छो। वो स्यांप बड़ पै चडर कागला का बच्या नै खाज्या छो। कागलो ऊँ स्यांप सूं घाडो खुराब हैग्यो। एक दन वो कागलो एक राजा का महल मै चलग्यो। उण्डै रा

चातरक बाण्यों

एक बार एक राजो अर बीरबल दरबार मै बैठ्या छा। राजो बीरबल नै खियो कै, “ईं दनियां मै चातरक अर बावळ्यो कुण छै?” बीरबल खियो कै, “चातरक बाण्यां अर बावळ्या मुल्ला हैवै छै।” राजो खियो कै, तू दखार बता किया है छै। बीरबल एक मुल्ला नै अर एक बाण्यां नै दरबार मै बला लियो। बीरबल मुल्ला

बुडापो खोटो छै

एक बार एक गांव मै एक डोकरो छो। वो बेमार हैग्यो अर खाटला मै पड़ग्यो। वो खाट मै पड़्यो-पड़्यो घाडो दुखी हैग्यो। डोकरा का घरका ऊँकी सेवा करता-करता घाडा खुराब हैग्या एक दन ऊँ डोकरा का घरका बच्यार लगाया, “कै ईं डोकरा की खाट नै घर की महड़ी माळै डारद्‌यां छां।” ऊँ डोकरा का घरक

Subscribe to